आधुनिक भारतीय समाज में अनेक परिवर्तन हुए हैं और निरंतर हो रहे हैं। आज यहां भारतीय समाज विकास की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अनेकानेक दोषों और समस्याओं से भी ग्रस्त हो रहा है। आधुनिक भारतीय समाज दुनिया के सबसे जटिल समाजों में एक है। इसमें कई धर्म, जाति, भाषा, नस्ल के लोग बिलकुल अलग-अलग तरह के भौगोलिक भू-भाग में रहते हैं। उनकी संस्कृतियां अलग हैं, लोक-व्यवहार अलग हैं।
आधुनिक भारतीय समाज
आधुनिक भारतीय समाज के स्वरूप को निम्न प्रकार समझा जा सकता है –
- जनतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था
- सामाजिक न्याय
- धर्म निरपेक्षता
- आर्थिक असमानता
- बेरोजगारी
- संतुलित परिवारों का विघटन
- दहेज प्रथा और बाल विवाह
- निम्न जीवन स्तर
- जनसंख्या की वृद्धि
- स्त्रियों की दशा में परिवर्तन
- विघटनकारी शक्तियों को प्रोत्साहन
- सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन
- नैतिक व धार्मिक मूल्यों में परिवर्तन
- उच्च आकांक्षाएं


1. जनतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था
भारत में जनतांत्रिक सामाजिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था में दो तत्व निहित है एक जनतंत्र और दूसरा समाजवाद। जनतंत्र के अनुसार भारत की जनता के हाथ में शासन की सर्वोच्च सत्ता है और समाजवाद के अनुसार व्यक्ति और समाज दोनों के उत्थान पर बल देकर वर्ग ही समाज स्थापित करने की कल्पना की गई है। भारत में समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है।
2. सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय के लिए भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान किए गए हैं। संविधान में कहा गया है कि सबको समानता की दृष्टि से सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए और समाज के उन वर्गों को विशेष सुविधाएं दी जानी चाहिए जिनका लंबे समय से शोषण और दमन हुआ है। जिससे वे उठकर समाज के दूसरे वर्गों के बराबर आ सके सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज में सब को यथोचित सम्मान तथा उन्नति करने के अवसर उपलब्ध हो।
3. धर्म निरपेक्षता
आधुनिक भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता धर्मनिरपेक्षता है। यहां पर सभी व्यक्तियों को समान धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है। धार्मिक स्वतंत्रता के परिणाम स्वरुप प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म को स्वीकार करने और उसका प्रचार व प्रसार करने के लिए स्वतंत्र होता है। राज्य किसी भी धार्मिक कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं करता है। राज्य किसी भी धर्म विशेष को ना संरक्षण देता है और ना ही कोई सुविधा देता है।
4. आर्थिक असमानता
आधुनिक भारतीय समाज में आर्थिक आधार पर तीन वर्गों में सारी जनता बैठी हुई है धनी वर्ग, मध्यम वर्ग और निर्धन वर्ग। धनी अधिक धनी होता जा रहा है और निर्धन अधिक निर्धन हो रहा है समाज में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है मध्यम वर्ग व्यापक रूप से उभर रहा है और अपनी स्थिति से असंतुष्ट है।


5. बेरोजगारी
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सही अनुपात में लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं जिससे शिक्षण नव युवकों में निराशा हताशा पैदा होती है कोई कार्य न मिलने पर भी अनुचित और अनैतिक कार्यों को करने लगते हैं जिससे उनका नैतिक पतन होता है।
6. संतुलित परिवारों का विघटन
व्यक्तिवाद की फैलती हुई भावना में संयुक्त परिवारों को विघटित करके व्यक्ति परिवार को जन्म दिया है जिसमें माता पिता अपनी संतान के साथ में रहते हैं इन एकांकी परिवारों में भी भावात्मक संबंधों का अभाव पाया जाता है।
7. दहेज प्रथा और बाल विवाह
दहेज प्रथा आधुनिक भारतीय समाज की गंभीर समस्या है जिसके कारण ना जाने कितनी नव युवतियों को अपने जीवन का बलिदान करना पड़ता है कानून बनने के बाद भी बाल विवाह की कुर्ती खूब प्रचलित है विधवाओं पर अत्याचार और अनमेल विवाह आज भी कम नहीं हुए हैं।
8. निम्न जीवन स्तर
निर्धनता और बेरोजगारी के कारण लोगों को रहन-सहन का स्तर गिरता जा रहा है। यद्यपि लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए सरकार द्वारा अनेकानेक प्रयत्न किए जा रहे हैं।
9. जनसंख्या की वृद्धि
आज की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या है। इस समस्या ने भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप को अत्यधिक प्रभावित किया है। यह समस्या के परिणाम स्वरुप खाद्य सामग्री का अभाव हो रहा है महंगाई बढ़ रही है बेरोजगारी बढ़ रही है जीवन स्तर गिर रहा है प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है और सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है।
10. स्त्रियों की दशा में परिवर्तन
भारतीय संविधान ने सबको समान अधिकार प्रदान करके स्त्रियों को पुरुषों के बराबर बना लिया है आज भारत की स्त्रियां सभी व्यवसाय में कार्य कर रही हैं।


11. विघटनकारी शक्तियों को प्रोत्साहन
आधुनिक भारतीय समाज में विघटनकारी प्रवृत्तियों का बहुमूल्य होता जा रहा है। जातिवाद, संप्रदायवाद, भाषावाद, प्रांतवाद आदि ने अलगाववाद को प्रोत्साहन दिया है लोगों के चिंतन में अंतर आया है। वे संपूर्ण समाज के हित की दृष्टि से ना सोच कर अपनी जाति अपने समुदाय अपनी भाषा अपने क्षेत्र और अपने प्रांत के हित की दृष्टि से सोचते हैं।
12. सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन
आधुनिक भारतीय समाज में नवीन विचारों के कारण क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं जिसके कारण प्राचीन सामाजिक मूल्य विलुप्त हो रहे हैं उनका स्थान में मूली ले रहे हैं इसलिए भारतीय आध्यात्मिकता को छोड़कर बौद्धिकता की ओर तेजी से दौड़ रहे हैं।
13. नैतिक व धार्मिक मूल्यों में परिवर्तन
आधुनिक भारतीय समाज धर्म प्रधान रहा है वहां व्यक्तियों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण आध्यात्मिक रहा है प्रेम सत्य अहिंसा सहयोग सहिष्णुता पर्व का आदि भारतीय समाज के शाश्वत मूल्य रहे हैं परंतु असत्य के स्थान पर सत्य अहिंसा के स्थान पर हिंसा प्रेम के स्थान पर घृणा सहयोग के स्थान पर असहयोग ईष्या और परोपकार के स्थान पर स्वार्थ भावना बढ़ रही है।
14. उच्च आकांक्षाएं
वर्तमान समय में भारतीय की इच्छाएं और आकांक्षा में बढ़ती जा रही हैं। एक दूसरे का अनुकरण करने की इच्छा बढ़ रही है इन इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति अनैतिक और अवैधानिक कार्य कर रहा है। चोरी, डकैती, रिश्वत, भ्रष्टाचार आदि के बढ़ने से मनुष्य का चारित्रिक पतन हो रहा है।
इसी प्रकार वर्तमान भारतीय समाज का स्वरूप अधिक आशा जनक नहीं है। इस में परिवर्तन लाना और सुधार करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए शिक्षा का विशेष दायित्व है अतः ईमानदारी और निष्ठा से एक सुव्यवस्थित और उपयोगी शिक्षा योजना के निर्माण और उसके क्रियान्वयन की आवश्यकता है।