आधुनिकीकरण की प्रक्रिया किसी एक ही दिशा या क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन को प्रकट नहीं करती वरन यह एक बहु-दिशा वाली प्रक्रिया है। साथ ही यह किसी भी प्रकार के मूल्यों से बंधी हुई नहीं है, परन्तु कभी-कभी इसका अर्थ अच्छाई और इच्छित परिवर्तन से लिया जाता है। पारम्परिक समाजों में होने वाले बदलावों या औद्योगीकरण के फलस्वरूप पश्चिमी समाजों में हुये परिवर्तनों को समझने तथा दोनों में अन्तर प्रकट करने के लिए समाजशास्त्रियों ने आधुनिकीकरण की अवधारणा को जन्म दिया।
आधुनिकीकरण
आधुनिकीकरण समझाने के लिए विद्वानों ने एक तरफ परम्परागत समाज को रखा तथा दूसरी तरफ आधुनिक समाज को रखा। आधुनिकीकरण को कुछ विद्वान प्रक्रिया मानते है, कुछ एक प्रतिफल मानते हैं। विभिन्न विद्वान आधुनिकीकरण को इस प्रकार परिभाषित करते हैं-
“मेरी आधुनिकीकरण की परिभाषा शक्ति के जड़ स्रोतों और प्रयत्न के प्रभाव को बढ़ाने के लिए उपकरणों के प्रयोग पर आधारित है। मैं इस दो तत्वों में से प्रत्येक को सातत्व का आधार मानता हूँ।’
मैरियन जे. लेवी
“ऐतिहासिक दृष्टि से आधुनिकीकरण उस प्रकार की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्थाओं की ओर परिवर्तन की प्रक्रिया है जो कि सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी तक पश्चिमी यूरोप तथा अमेरिका में और बीसवीं शताब्दी तक दक्षिणी अमेरिका, एशियाई व अफ्रीकी देशों में विकसित हुई।”
आइजन स्टैण्ड
आधुनिकीकरण की विशेषताएं
- क्रान्तिकारी प्रक्रिया – आधुनिकीकरण की प्रक्रिया एक क्रान्तिकारी प्रक्रिया है क्योंकि इस प्रक्रिया ने कृषि प्रधान ग्रामीण संस्कृति के स्थान पर उद्योग प्रधान नगरीय संस्कृति को जन्म दिया और इस प्रकार सामाजिक व्यवस्था व संरचना में मौलिक परिवर्तन उत्पन्न कर दिया।
- जटिल प्रक्रिया – आधुनिकीकरण की प्रक्रिया एक बहुआयामी प्रक्रिया होने के नाते एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें संज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक एवं संस्थागत रूपान्तरण तथा पुनर्संरचन सम्मिलित है।



भारत में आधुनिकीकरण
भारत में या भारतीय समाज में भी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया क्रियाशील है। आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया भारत के नगरीय समुदायों में ही अधिक स्पष्ट रूप में क्रियाशील है। इसका कारण भी स्पष्ट है। भारत के नगरों में आज बड़े-बड़े उद्योगों मिल व कारखानों आदि की स्थापना हो गई है जिनमें आधुनिक जटिल मशीनों व उच्च तकनीकों की सहायता से उत्पादन का कार्य होता है।
फलतः प्रौद्योगिकीय विकास का आधुनिक रूप भारतीय नगरों, विशेषकर बड़े नगरों में देखने को मिलता है। सूचना प्रौद्योगिकी में आई नवीनतम क्रान्ति इसका उदाहरण है। सामाजिक गतिशीलता व सामाजिक विभेदीकरण भी भारतीय नगरों में सुस्पष्ट होता है। भारतीय नगरों में आज लोगों के जीवन में धर्म का प्रभाव, विशेषकर धार्मिक आडम्बर कम हो रहा है साथ ही सामाजिक कुरीतियों से छुटकारा पाने का संघर्ष भी जारी है।
भारत के नगरों में अन्तर्जातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह को बुरा नहीं माना जाता है और प्रेम विवाह भी होते हैं। नवीन विचार, मूल्य, आर्दश तथा लक्ष्य आज भारतीय जीवन के आधार बन चुके हैं। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया आज भारतीय ग्रामीण समुदायों में भी क्रियाशील है। गाँव का किसान आज आधुनिक ढंग से खेती करना सीख रहा है और इस काम में ट्रैक्टर तथा अन्य मशीनों का प्रयोग हो रहा है।
सिंचाई के नवीन साधनों का प्रयोग किया जाने लगा है, अच्छे बीजों की किस्मों को वैज्ञानिक ढंग से, वैज्ञानिक खाद आदि का उपयोग करके उत्पादन किया जा रहा है। किसानों को वर्ष में कई बार फसल पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। गाँवों में स्कूल खोलकर शिक्षा का विस्तार किया जा रहा है। रेडियो और टी. वी. के माध्यम से ग्रामवासियों को नवीन व आधुनिक तकनीकी तथा विचारों से परिचित कराया जा रहा है।
आवागमन के साधनों को बढ़ाकर उन्हें अन्य लोगों के सम्पर्क में लाने व उससे लाभ उठाने के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। केवल आधुनिक विचारों को ही नहीं अपितु आधुनिक व्यवहार प्रतिमानों, खाने-पीने के ढंग, फैशन आदि का भी विस्तार ग्रामीण समुदायों में हो रहा है। स्पष्ट है कि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया केवल भारत के नगरीय समुदायों में ही नहीं, अपितु ग्रामीण समुदायों को भी अपनी लपेट में ले रही है।
भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं
- परंपरागत समाज – एक परम्परागत समाज आधुनिक तत्वों को केवल एक सीमा तक ही अपने में समा सकता है। इसी कारण से एक आधुनिक समय व्यवस्था भी एक सीमा तक परम्परागत मूल्यों को महत्व दे सकती है।
- पूर्व औद्योगिक तत्व – औद्योगीकरण के प्रभाव के बाद भी भारतीय समाज में अनेक पूर्व औद्योगिक तत्व विद्यमान हैं। यह तत्व परिवर्तन अथवा आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हैं। इन तत्वों में हम सत्ता पर निर्भरता का विशेष रूप से उल्लेख कर सकते हैं जो भारतीय परम्परागत समाज का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
- शक्ति पर आधारित सामाजिक ढाँचा
भारतीय समाज का शक्ति पर आधारित ढाँचा आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में बहुत बड़ी रुकावट है। पिछले 25 वर्षों से भारत की अर्थव्यवस्था एक संकटकालीन अर्थव्यवस्था रही है। इसमें एक ओर दक्षिण पन्थियों की प्रक्रियवादी राजनीति के दर्शन होते हैं तो दूसरी ओर प्रयत्न तथा भूल प्रकार की वामपन्थी राजनीति के • जिसके फलस्वरूप हमें अराजनयीकरण की क्रिया भी देखने को मिलती है। परिणामतः समाज का मध्यम वर्ग किसी भी प्रकार विकास के प्रति उदासीन है। - परम्परागत तथा आधुनिक मूल्य का प्रश्न
प्रत्येक व्यक्ति परिवर्तन चाहता है किन्तु वह परिवर्तन को अपनाने में संकोच करता है। अपने आपको परम्परावादी या रूढ़िवादीता नहीं कहलवाना चाहता किन्तु वह अपने परम्परागत मूल्यों को नहीं छोड़ना चाहता। वह प्रत्येक उस वस्तु को पसन्द करता है जो नवीन है या आधुनिक है लेकिन साथ ही साथ अपने पुरातन मूल्यों को इसलिए नहीं छोड़ता क्योंकि नवीन मूल्य उसे संतुष्टि प्रदान नहीं करते। - आधुनिकीकरण एवं परम्परावाद
आधुनिक युग में अपने समाज में होने वाले परिवर्तन को हम इस प्रक्रिया के अन्तर्गत सम्मिलित नहीं करते, आधुनिकवाद शब्द का प्रयोग परम्परावाद की सापेक्षता में करते हैं।
भारत में आधुनिकीकरण के कारण
वास्तव में भारत को आज परम्परागत समाज कहना अधिक उचित है क्योंकि आज यह आधुनिकता की ओर अग्रसर है। आधुनिक भारत में गतिशीलता की दो प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण। इन्हीं दोनों के कारण भारत में आधुनिकीकरण का विकास तीव्र गति से हो रहा है। भारत में आधुनिकीकरण के निम्न कारण हैं-
1. औद्योगीकरण
“औद्योगीकरण ही आधुनिकीकरण है क्योंकि समाज की प्रक्रिया से प्राचीन आधुनिक समाज आधुनिक, आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न तथा राजनीति की दृष्टि से स्थाई समाज बनाते हैं। भारतवर्ष संसार में औद्योगीकरण की दृष्टि से दसवाँ प्रमुख देश है। भारत में सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों में उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय आधार पर आदान प्रदान किया जा रहा है यह सभी आधुनिकीकरण को बढ़ावा देते हैं।
2. पश्चिमीकरण
डेनियल डार्नर ने पश्चिमीरण की प्रक्रिया को ही आधुनिकीकरण कहा है, डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार मैंने पश्चिमीकरण शब्द को ब्रिटिश राज्य के 150 वर्ष के शासन के परिणामस्वरूप भारतीय समाज व संस्कृति में उत्पन्न हुए परिवर्तन के लिए प्रयोग किया है यह शब्द अपने में औद्योगिकीय संस्थाओं, विचारधाराओं, मूल्यों एवं विभिन्न स्तरों पर उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों का द्योतक है। पश्चिमीकरण के कारण हमारे विचारों, व्यवहारों, मूल्यों, आदर्शों, धार्मिक विश्वासों में कई परिवर्तन हुए जिससे आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिला।
3. आधुनिक शिक्षा
आधुनिक शिक्षा ने न केवल व्यक्तियों के मूल्यों, विचारों तथा व्यवहारों में परिवर्तन आया है अपितु व्यक्ति शिक्षा के प्रति जागरूक भी हुआ है। 1901 में देश की सम्पूर्ण जनसंख्या में से 5.3% लोग ही साक्षर थे, जबकि 2001 में यह बढ़कर 65.38% हो गया।
4. लौकिकीकरण
लौकिकीकरण के कारण धार्मिक रूढ़िवादिता में कमी आयी तथा धार्मिक सहनशीलता में वृद्धि हुई तथा भारत को धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित कर दिया गया जिससे सर्वधर्म समभाव की भावना का उदय हुआ तथा आधुनिकीकरण के विकास में सहायक हुआ। अब्राहम लिंकन ने लोकतन्त्र को जनता द्वारा जनता के लिए और जनता का शासन के रूप में परिभाषित किया है। लोकतन्त्र में सभी व्यक्तियों के समान अधिकार होते हैं तथा जनता अपने बीच से ही शासक का चयन करती है। लोकतन्त्र में सभी व्यक्तियों के समान मूल अधिकार इस प्रक्रिया ने भी आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया।
5. संस्कृतिकरण
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में कोई निम्न हिन्दू जाति या कोई जनजाति अथवा कोई अन्य समूह किसी उच्च और प्रायः द्विज जाति की दिशा में अपने रीति रिवाज, कर्मकाण्ड विचारधारा और जीवन पद्धति को बदलता है। संस्कृतिकरण की प्रक्रिया से जातीय नियमों की कठोरता में कमी आती है जिससे धार्मिक रीति रिवाज से ऊपर उठकर व्यक्ति कार्य करता है अतः संस्कृतिकरण भी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में सहायक है। भारत में सामाजिक परिवर्तन लाने में राजनीतिकरण का भी हाथ रहा।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के कारण अनेक परिवर्तन हुए तथा किसी भी समाज को पूर्णतः आधुनिक नहीं कहा जा सकता है। दो समाजों की तुलना एक दूसरे की तुलना में ही आधुनिक अथवा परम्परावादी समाज के रूप में दिखाई देती है।
भारत में आधुनिकीकरण के परिणाम
भारत में आधुनिकीकरण के अनेक परिणाम हुए जिसमें कुछ अच्छे थे तो कुछ बुरे थे। ये परिणाम निम्नलिखित हैं-
1. कृषि तथा ग्राम उद्योगों में उन्नति
इससे ग्रामीण बेरोजगारों की समस्या व ग्रामीण निर्धनता की समस्या को हल करने में मद मिलती है। इसमें आधुनिक मशीनों उपकरणों, प्रविधियों तथा ज्ञान का उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से बंजर भूमि पर अच्छी फसल हो सकती है तथा कुटीर उद्योगों का स्तर भी ऊँचा उठाया जा सकता है।
2. शिल्पकारिता का ह्रास
आधुनिकीकरण से शिल्पकारिता का भी ह्रास होता है क्योंकि आधुनिक समाज में हर काम मशीन से होता है। उसमें कारीगर को अपनी हस्तकला दिखाने का अवसर नहीं मिलता। भारत में अनेक देशों के कारीगर अपने हस्तशिल्प के लिए दुनिया में अपनी अलग पहचान रखते हैं। आधुनिकीकरण के चक्कर में हस्तशिल्प की सार्वजनिक स्वीकृति व सम्मान नष्ट हो जाता है।
3. औपचारिकता में वृद्धि
समाज में अधिकांश लोग कृत्रिम व दिखावे को सहानुभूति, प्रेम व आदर की भावना रखते हैं। इसलिए कहा जाता है कि आधुनिकीकरण एक ठण्डे जगत की सृष्टि में सहायक हुआ है।
4. आधुनिक ज्ञान व विज्ञान की दुनिया से सम्पर्क
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया हमारा परिचय आधुनिक ज्ञान व विज्ञान की दुनिया से कराती है। फलतः हमारा प्रयास नवीनतम ज्ञान, प्रवधि, आविष्कार आदि से अधिक से अधिक लाभ उठाने का होता है। हम तार्किक आधार पर सोचने विचारने के लिए प्रेरित होते हैं।
5. बेरोजगारी व आर्थिक संकट
आधुनिकीकरण के अनेक बुरे परिणाम भी सामने आए हैं। आधुनिकीकरण से मशीनीकरण की प्रवृत्ति बढ़ती है और श्रम बचाने वाले यन्त्रों का प्रयोग अधिक होने से श्रमिकों को काम से निकाल दिया जाता है और देश में बेरोजगारी बढ़ती है। आधुनिक मशीनों से बहुत बड़े पैमाने में उत्पादन होने के कारण अति उत्पादन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और देश आर्थिक संकट में फँस जाता है।
6. आर्थिक दशाओं में सुधार
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को जब आर्थिक क्षेत्र में क्रियाशील किया जाता है तो उसका परिणाम होता है आर्थिक उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य में आधुनिकतम मशीनों तथा तकनीकी का उपयोग। इससे देश में औद्योगिक विकास सम्भव होता है, रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। राष्ट्रीय धन तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।
7. धर्म तथा परम्परा की संकीर्णता का दूर होना
जब हमारा सम्बन्ध आधुनिक ज्ञान तथा विज्ञान से जुड़ जाता है तो धार्मिक अन्धविश्वास व आडम्बर, सामाजिक कुरीतियाँ, छुआछूत की भावना आदि स्वतः ही दूर हो जाते हैं या कम से कम उनके सम्बन्ध में लोगों में जागरूकता उत्पन्न होती है। साथ ही, लोग भाग्य पर भरोसा कम करने लगते हैं और अपने परिश्रम व प्रयास पर उनकी आस्था बढ़ती है।
8. अपनी संस्कृति का निरादर
आधुनिकीकरण के कारण हमारा सम्पर्क देश विदेशों विशेषकर पाश्चात्य देशों की तड़क-भड़कपूर्ण संस्कृति व सभ्यता से होता है। इस चमक-दमक से हम इतना प्रभावित हो जाते हैं कि हमारे अन्दर अपनी ही संस्कृति व सभ्यता के प्रति अनादर की भावना पनपने लगती है। हम अपने देश में गौरवपूर्ण इतिहास व संस्कृति को भूलने लगते हैं और सभी कार्यों में विदेशों की नकल करने लगते हैं।
9. अपराध, व्यभिचार और भ्रष्टाचार में वृद्धि
आधुनिकीकरण के अन्तर्गत मशीनीकरण, औद्योगीकरण की प्रक्रियाओं को जो प्रोत्साहन मिलता है उसमें ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जिनसे समाज में अपराध, व्यभिचार और भ्रष्टाचार बढ़ता जाता है। आधुनिकता की दौड़ ने लोगों को भौतिक सुख को ही सब कुछ मानने की शिक्षा देता है और इन भौतिक सुखों की पूर्ति के लिए भ्रष्ट तरीकों से धन कमाने में उन्हें संकोच नहीं होता है।
अन्त में निष्कर्ष स्वरूप कहा जा सकता है कि आधुनिकीकरण के अच्छे व बुरे दोनों परिणाम सामने आये। इससे एक तरफ जहाँ अपराधी तथा भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी तरफ व्यक्तियों को कार्य करने के अवसर भी मिल हैं। अतः कहा जा सकता है आधुनिकीकरण की प्रक्रिया बुरी नहीं है यह उस समय बुरी बन जाती है जब हम उसे बुरा बना देते हैं।
भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम
भारत ने आधुनिकीकरण के फलस्वरूप जहाँ प्रगति की है वहीं कई दुष्परिणाम भी सामने आये हैं जोकि निम्नलिखित हैं
1. प्रदूषण की समस्या
आधुनिकीकरण के फलस्वरूप नये-नये उद्योगों की स्थापना हो गई है जिसके परिणामस्वरूप गन्दी बस्तियों की समस्याएँ बढी हैं, प्रदूषण बढ़ा है। उद्योगों से होने वाले प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार के रोगों में वृद्धि हुई है। आज आधुनिकीकरण के कारण शहरी जीवन में साँस लेना दुष्कर हो गया है। आधुनिकीकरण के कारण विभिन्न फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित धुआँ तथा निकलने वाला दूषित जल सामाजिक वातावरण में जहर घोल रहे हैं।
जो कि हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा खतरा है। प्रदूषण के कारण लोगों में अनेकों प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न होने लगी हैं जिसके कारण लोगों की औसत आयु में कमी आयी है। उद्योगों में कार्य करने वाले श्रमिक अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। आधुनिकीकरण के फलस्वरूप विभिन्न उद्योगों की स्थापना के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है जिसके कारण हमारे पर्यावरण को बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। पेड़-पौधों की गैरकानूनी कटाई के कारण भी अनेकों समस्याएँ आई हैं।
2. देश में नैतिक मूल्यों का ह्रास
देश में आधुनिकीकरण के फलस्वरूप बेरोजगारी एवं गरीबी की समस्या घटने के बजाय बढ़ी है। आधुनिकीकरण के कारण विभिन्न उद्योगों में यन्त्रीकरण किया जा रहा है जिससे बेरोजगारी एवं गरीबी काफी बढ़ गयी है। देश में नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ तथा भौतिकता की दौड़ के कारण लोग येन-केन प्रकारेण धन एकत्रित करने की सोचते हैं, इससे भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। नशीले पदार्थों एवं मादक द्रव्यों का प्रयोग बढ़ रहा है।
आज का युवा वर्ग नशे का आदी हो गया है। वह अपने मौलिक कर्तव्यों को भूल गया है। भारत का आधुनिकीकरण करने के लिए भारत सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनायी है, इससे भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने उद्योग स्थापित कर रही हैं, इससे भारत के कुटीर उद्योग समाप्त हो रहे हैं एवं भारतीय उद्यमी हतोत्साहित हो रहे हैं, देश का पैसा विदेशों में जा रहा है। प्रजातन्त्र तो मजबूत हुआ है लेकिन उसमें जातिवाद, प्रान्तवाद और भाषावाद हावी है।