एक आदर्श शैक्षिक प्रशासक के लिए विद्यालय प्रबंधन एवं विद्यालय के कर्मचारियों में उचित समन्वय होना अत्यंत आवश्यक है। विद्यालय हो या अन्य कोई संस्थान बिना उचित समन्वय एवं सहयोग के विकास नहीं कर सकता है।
आदर्श शैक्षिक प्रशासक के गुण
विद्यालय में तो विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्र तथा शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी वर्ग आते हैं। ऐसी स्थिति में सभी के मध्य उचित समन्वय एवं सहयोग अत्यंत आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त आदर्श शैक्षिक प्रशासक के लिए कुछ अन्य गुणों का होना भी आवश्यक है यह गुण निम्नलिखित है –


- निश्चित उद्देश्य
- प्रेरणादायक वातावरण प्रदान करने वाला
- संप्रेषण
- दूसरों की सलाह को सुनने वाला
- एक योजनाकार
- प्रतिभा की पहचान करने वाला
1. निश्चित उद्देश्य
वह प्रशासक अच्छा माना जाता है जो कार्य प्रारंभ करने से पूर्व ही उसके उद्देश्य सुनिश्चित कर लेता है। प्रशासक व्यक्ति को उसके कार्य के प्रदर्शन के आधार पर उच्च पद प्रदान करता है ना कि अपनी व्यक्तिगत पसंद और नापसंद के आधार पर। वह निष्पक्षता के आधार पर प्रत्येक समस्या को हल करता है तथा अनुशासनहीनता की स्थिति भी नहीं आने देता है जिससे शैक्षिक उद्देश्यों को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।
2. प्रेरणादायक वातावरण प्रदान करने वाला
आदर्श शैक्षिक प्रशासक का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को एक प्रेरणादायक वातावरण प्रदान करना होता है जिससे छात्र ठीक से अधिगम कर सकें। जिस विद्यालय का शैक्षिक परिवेश सकारात्मक एवं प्रेरणादायक नहीं होता है वहां अभिभावक भी अपने बच्चे को अध्ययन के लिए नहीं भेजना चाहते हैं। प्रेरणादायक व सकारात्मक परिवेश वाले विद्यालय में शिक्षक छात्रों को निरंतर अधिगम के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।
इसके अतिरिक्त वे छात्रों के अधिगम के लिए नई रणनीतियों का प्रयोग करते हैं जिससे छात्र अधिगम के लिए प्रोत्साहित होते हैं तथा अध्ययन में उनकी रुचि नहीं रहती है।
3. संप्रेषण
एक अच्छा शैक्षिक प्रशासन छात्रों शिक्षकों तथा कर्मचारियों के मध्य सहयोग एवं संप्रेषण को बढ़ावा देता है। छात्र एवं शिक्षक के मध्य जितना अच्छा संप्रेषण होता है। छात्र उतना अच्छा प्रदर्शन करता है। छात्र परिवार के पश्चात यदि किसी स्थान पर सर्वाधिक समय व्यतीत करता है। तो वह विद्यालय होता है इसलिए एक अच्छे प्रशासक को संप्रेषण को बढ़ावा देना चाहिए।
4. दूसरों की सलाह को सुनने वाला
एक अच्छा शैक्षिक प्रशासन दूसरों की सलाह को भी एक सुझाव के रूप में लेता है कोई भी प्रशासक पूर्ण रूप से सक्षम एवं त्रुटि रहित नहीं हो सकता है। प्रशासक को समय की मांग के अनुरूप परिवर्तित करने एवं व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक है, कि दूसरों की सलाह एवं सुझाव को पर्याप्त स्थान दिया जाए।

5. एक योजनाकार
एक आदर्श शैक्षिक प्रशासक को शैक्षिक प्रशासन चलाने के लिए एक योजनाकार की भूमिका भी निभानी चाहिए। विद्यालय में प्रधानाचार्य ही विद्यालय का नेतृत्व करता है। ऐसी स्थिति में शैक्षिक प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है कि प्रधानाचार्य छात्रों के उचित अध्ययन के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का निर्माण करें तथा शिक्षकों के अध्यापन के लिए योजना का निर्माण करें इससे शैक्षिक प्रशासन सुचारू रूप से चलता है।
6. प्रतिभा की पहचान करने वाला
शैक्षिक प्रशासन द्वारा ऐसी नीतियों व कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए जिससे छात्रों एवं शिक्षकों की प्रतिभा को सरलता पूर्वक पहचाना जा सके। इससे शिक्षकों को अध्यापन एवं छात्रों को अध्ययन करने में रुचि उत्पन्न होती है। इसके साथ प्रशासक को छात्रों में अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर प्रतिभा खोज जैसी परीक्षाओं का आयोजन किया जाना चाहिए।
इस प्रकार उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आदर्श शैक्षिक प्रशासक में अनेक गुण होते हैं जिसके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि किसी विद्यालय की आंतरिक स्थिति कैसी है तथा वहां पर शिक्षण कार्य कैसा चल रहा है।