अल्पसंख्यक की समस्याएं – एक समाज या राष्ट्र में विभिन्न दो या अधिक वर्ग के लोग निवास करते हैं जिनमें एक वर्ग या समूह की संख्या आधी से कम होती है वह अल्पसंख्यक वर्ग के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अल्प व्यक्तियों का समूह अल्पसंख्यक कहलाता है। इसे स्पष्ट करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केरल शिक्षा विधेयक 1957 पर अपने निर्णय में कहा है कि
अल्पसंख्यक होने या ना होने का प्रश्न एक राष्ट्र की संपूर्ण जनसंख्या के संदर्भ में निर्धारित किया जाना चाहिए।
उपर्युक्त कथन से स्पष्ट होता है अल्पसंख्यक वर्ग में वह समूह आता है जिसकी जनसंख्या 50% से कम हो। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि भारत में हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य सभी धार्मिक समूहों को धार्मिक अल्पसंख्यक कहा जा सकता है।

अल्पसंख्यक के प्रकार
अल्पसंख्यक निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-
- धार्मिक अल्पसंख्यक – भारत में हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य सभी धार्मिक समूहों को धार्मिक अल्पसंख्यक कहा जाता है।
- भाषायी अल्पसंख्यक – धार्मिक अल्पसंख्यकों के अतिरिक्त भाषा के आधार पर जिनकी संख्या आधी से कम है, वह सब भाषायी अल्पसंख्यक में गिने जाते हैं।
- जनजातीय अल्पसंख्यक – सामाजिक आर्थिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए जनजातीय अल्पसंख्यक कहलाते हैं। इनका प्रमुख उद्देश्य व संविधान से ऐसी सुविधाएं प्राप्त करना होता है जिनके माध्यम से वह अपने धर्म व भाषा को सुरक्षित विकसित कर सके।
अल्पसंख्यक की समस्याएं
सभी प्रकार के अल्पसंख्यकों की समस्याएं अलग अलग हैं। कुछ समस्याएं जो सभी अल्पसंख्यकों में पाई जाती है वह निम्न है:
- पारिवारिक समस्याएं
- धार्मिक समस्याएं
- सामान्य जीवन से संबंधित समस्याएं
- भाषायी समस्याएं
- विसंगति की समस्या
- राजनीतिक समस्याएं
- सांप्रदायिक तनाव की समस्या
- आर्थिक समस्याएं
- शैक्षिक समस्याए
- असुरक्षा की भावना
- निष्ठा के प्रति संदेह की समस्या
- बहुसंख्यकों की अधीनता एवं हीनता की समस्या
- सांप्रदायिक प्रथकता की समस्या

1. पारिवारिक समस्याएं
पाश्चात्य जगत के प्रभाव से भारतीय समाज में हानिकारक परिवर्तन हो रहे हैं। आज का व्यक्ति परिवार की तुलना में व्यक्तिगत समस्याओं पर विशेष ध्यान देता है। जिसके कारण परिवारों में विघटन बढ़ने लगा है। पाश्चात्य जगत के प्रभाव से अल्पसंख्यकों में देर से विवाह, प्रेम विवाह, अंतर जातीय विवाह, तलाक की प्रवृतियां बढ़ रही हैं। परिणाम स्वरूप व्यक्ति में एकाकीपन बढ़ रहा है। जिससे मानसिक अवसाद बढ़ता है और प्रेरित होकर व्यक्ति आत्महत्या जैसा अपराध कर बैठता है।
2. धार्मिक समस्याएं
भारत में विभिन्न प्रकार के धर्मों के लोग निवास करते हैं। भारत के मुगल शासन काल में मुसलमानों का वर्चस्व था तथा उन्हें शासन की ओर से विशेष सुविधाएं प्राप्त थी। इसी कारण भारत के कई हिंदुओं ने अपने मार्ग में परिवर्तन करके मुस्लिम धर्म अपना लिया। इसी प्रकार अंग्रेजों के आगमन होने के पश्चात यहां ईसाई धर्म का आगमन हुआ।
फल स्वरुप, हजारों परिवारों ने ईसाई धर्म को अपनाया धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्तियों में पूरी तरह से भारतीयता समाप्त नहीं होती है। इस प्रकार उनके सामने गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। भारतीय ना तो पूरी तरह से हिंदू रह गए हैं और ना ही दूसरे धर्मों के आदर्शों को पूरी तरह से अंगीकृत कर सके।
3. सामान्य जीवन से संबंधित समस्याएं
अल्पसंख्यकों को अपने सामान्य जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस संसार में खान पान, रहन सहन, पोशाक, जूता, हेयर स्टाइल आदि। प्रत्येक चीजों के बाद संसार में बदलाव नजर आता है। भले ही उन चीजों से इंसान को कोई फायदा ना होता हो लेकिन आजकल नया बनने की चाह में पश्चिमी देशों का फैशन सा हो गया है।
पहले के समय पर लोग नमस्कार या प्रणाम किया करते थे तथा अब वे लोग हाय किया करते हैं। ‘डिस्को क्लब’, ‘रॉक एंड रोल’ संस्कृति में सामान्य जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जिसका भुगतान बाल अपराधियों ने अपराध आत्महत्या और हिंसा के रूप में समाज को भुगतना पड़ रहा है।

4. भाषायी समस्याएं
अंग्रेजी शासन काल में अंग्रेजी भाषा का अधिक महत्व था। जो लोग मैकाले की शिक्षा नीति एवं अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान रखते थे उन्हें सरकारी नौकरी जल्दी मिल जाती थी। दक्षिण भारत से संपर्क अंग्रेजी के माध्यम से होने लगा। और इसके साथ ही साथ हिंदी की लगातार उपेक्षा की जाने लगी। राष्ट्रभाषा हिंदी का महत्व इसलिए कम होने लगा क्योंकि अंग्रेजी भाषा में एक राष्ट्र का दूसरे राष्ट्र के साथ संपर्क सूत्र स्थापित किया है।
संविधान के लागू होने के पश्चात भारत में अधिकांशतः अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया गया जो राज्य गैर हिंदी भाषी है वह किसी भी कीमत पर हिंदी भाषा को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। बल्कि इसके स्थान पर अंग्रेजी के इस विवाद में अनेकों समस्याओं को जन्म दिया है।
5. विसंगति की समस्या
पाश्चात्य जगत का आकर्षण नव युवकों को शीघ्र ही आकर्षित कर लेता है और उसे पाने के लिए ‘शॉर्टकट’ शाखा अपनाने को तैयार हो जाते हैं। जबकि एक ओर समाज के स्वीकृत समाज के मानदंड और समाज अपने सदस्यों के अनुकूल व्यवहार की अपेक्षा करता है। यही विसंगति है।
6. राजनीतिक समस्याएं
अल्पसंख्यक की समस्याएं राजनीतिक भी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात लोकतंत्र की स्थापना हुई किंतु यहां के व्यक्ति अपने को इसके अनुरूप ढाल नहीं पाए क्योंकि या लोकतंत्र नहीं है बल्कि भीड़तंत्र या भ्रष्टतंत्र है।

7. सांप्रदायिक तनाव की समस्या
हमारे देश में स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद भी उन क्षेत्रों में सबसे अधिक सांप्रदायिक दंगे हुए, जहां मुस्लिम जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है। इस समस्या का संबंध अपनी शक्ति का प्रदर्शन तथा यह दिखाना होता है कि उनकी संस्कृति बहुसंख्यकों से अधिक श्रेष्ठ है। यह समस्या अपनी एक अलग पहचान बनाए रखने के उन्माद और असुरक्षा की ग्रंथि से संबंधित है। इन सब के मूल में कट्टरपंथी है।
8. आर्थिक समस्याएं
किसी ना किसी रूप में यह समस्या शैक्षिक पिछड़ेपन से ही संबंधित है सरकारी सेवाओं में मुस्लिमों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है उद्योग एवं व्यापार जैसे नीजी उपक्रमों में भी उनकी पर्याप्त सहभागिता नहीं है।
9. शैक्षिक समस्याएं
मुसलमानों में प्रमुख समस्या शिक्षा की है। अन्य दूसरे धार्मिक समुदायों की तुलना में मुसलमानों में शिक्षा का प्रतिशत बहुत कम है।

10. असुरक्षा की भावना
मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सबसे बड़ी समस्या असुरक्षा की भावना है। वे अनेक क्षेत्रों में अपने को बहुसंख्यक हिंदुओं से असुरक्षित महसूस करते हैं।
11. निष्ठा के प्रति संदेह की समस्या
मुस्लिम अल्पसंख्यकों की एक प्रमुख समस्या निष्ठा के प्रति संदेह है की है इसका कारण अनेक आतंकवादी संगठनों का मुस्लिम होना है।
12. बहुसंख्यकों की अधीनता एवं हीनता की समस्या
अल्पसंख्यक समुदाय प्राया बहुसंख्यकों के अधीन होता है। इस वर्ग को प्राय: बहुसंख्यक से हीन समझा जाता है। बहुसंख्यक समुदाय प्राया अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति एवं इच्छाओं के अनुसार बनाने की कोशिश करता है।
13. सांप्रदायिक प्रथकता की समस्या
अन्य संप्रदायों से पृथक होना भी अल्पसंख्यकों की एक प्रमुख समस्या है।