अनौपचारिक संगठन

अनौपचारिक संगठन संस्था में औपचारिक रूप से कार्य करते हुए सामाजिक आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु व्यक्तियों के बीच स्थापित हो जाते है। इसकी कुछ परिभाषाएं निम्नलिखित है-

वह संगठन अनौपचारिक होता है जिससे परस्पर सम्बन्ध अज्ञानतावश संयुक्त उद्देश्य हेतु बनते है।

सी. आई. बनर्डि के अनुसार

अनौपचारिक संगठन वह सामाजिक संरचना है जिसका निर्माण व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु किया जाता है अतएव अनौपचारिक संगठन व्यक्तियों की सामाजिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए बनते हैं।

अर्ज पी. स्ट्रॉग के अनुसार

अनौपचारिक संगठन की विशेषताएँ

अनौपचारिक संगठन में निम्नलिखित विशेषताएं पायी जाती है-

  1. इसमें नियम एवं पद्धतियों परम्पराओं पर आधारित होती है।
  2. अनौपचारिक संगठन को चार्ट या मैन्युअल के द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जाता है।
  3. अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन का पूरक होता है।
  4. ये सामाजिक संगठन होते हैं इनकी स्थापना व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जाती है।
  5. अनौपचारिक संगठन सम्पूर्ण संगठन का एक आंतरिक भाग होता है।
  6. अनौपचारिक संगठन प्रबंध के सभी स्तरों पर पाया जाता है।
  7. ये प्रकृति नियमों पर आधारित होते हैं।
  8. इसमें सामाजिक संतुष्टि मिलती है।
  9. अनौपचारिक संगठनों का निर्माण अपने आप हो जाता है।
  10. इसमें पदों को क्रमता से मुक्ति रहती है।

अनौपचारिक संगठन के लाभ

  1. समन्वय की सुविधा – अनौपचारिक संगठन में प्रभावी समन्वय स्थापित करने में सहायता मिलती है।
  2. सामाजिक संतुष्टि – अनौपचारिक संगठन से सभी सदस्यों को सामाजिक संतुष्टि मिलती है क्योंकि इसमें कर्मचारियों को नियम एवं कानून में बाँधकर नहीं रखा जाता है।
  3. मधुर संबंध – अनौपचारिक संगठन में कर्मचारियों में मधुर संबंध पाये जाते हैं क्योंकि इस प्रणाली में सभी कर्मचारी मिल जुल कर कार्य करते हैं।
  4. उच्च मनोबल –  इस प्रणाली में सभी सदस्यों का मनोबल ऊंचा रहता है।
  5. मजबूत संबंध – अनौपचारिक संगठन में सभी कर्मचारियो पाये जाते है। इस प्रकार कर्मचारियों में पारस्परिक संबंध का विस्तार होता है।
  6. सतत् एवं सुरक्षित – अनौपचारिक संगठन के सदस्यअपने आपको सतत् एवं सुरक्षित महसूस करते हैं।
  7. क्रियान्वयन में आसानी – अनौपचारिक संगठन में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन आसानी से हो जाता है क्योंकि इस संगठन के सदस्यों के ऊपर कोई मानसिक दबाव नहीं होता है।
  8. अभिप्रेरणा – अनौपचारिक संगठन में अधिक से अधिक कार्य कराने के लिए कर्मचारियों को अभिप्रेरित किया जा सकता है।
  9. प्रबंध में सहायक – अनौपचारिक संगठन प्रबंधकीययोग्यता की पूर्ति करने में सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार इस संगठन में प्रबंधकीय क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

अनौपचारिक संगठन के दोष

अनौपचारिक संगठन में निम्नलिखित दोष पाये जाते है-

  1. भीड़ प्रवृत्ति – अनौपचारिक संगठन में मौड़ की प्रवृति पढ़ जाती है अर्थात् यदि किसी कार्य को अधिकांश लोग कर रहे हैं तो बचे खुचे लोग भी करने लगते हैं।
  2. विनाशकारी स्वभाव – अनौपचारिक संगठन कभी-कभी विनाशकारी स्वभाव में परिवर्तित हो जाते है जो संगठन के लिए हानिकारक है।
  3. उत्तरदायित्व के निर्धारण का अभाव – अनौपचारिक संगठन में किसी भी कर्मचारी को किसी भी असफलता के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि इस संगठन में अधिकार एवं कर्तव्यों का निर्धारण नहीं किया है। इसीलिये इस प्रकार के संगठन में उत्तरदायित्व के निर्धारण का अभाव पाया जाता है।
  4. अस्थायी एवं अल्प आयु –  इस प्रकार के संगठन प्रायः अस्थायी एवं अन्य आयु प्रकार के होते हैं क्योंकि बिना नियम कानून के लम्बे समय तक कार्य नहीं किया जा सकता है। लम्बे समय तक जीवित रहने के लिए नियम कानून, पद्धति, सिद्धान्त, अनुशासन की आवश्यकता होती है।
  5. अफवाहों का फैलना – इस प्रकार के संगठन प्रायः अफवाह फैलाते है जिसका परिणाम यह होता है कि संस्था के सदस्यों में अनावश्यक भ्रम फैलता है।
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